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नया राज मेँ नया चलन छै राजनीति असनावै / अमरेन्द्र

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नया राज मेँ नया चलन छै राजनीति असनावै
अनकीरतोॅ-अदलाहा सब उधियावै बनी अखम्मर
गुग्गुल-धुमनोॅ रोॅ माथोॅ पर नाँचै आबेॅ सिम्मर
नेकी कुटै अहुरिया आपनोॅ भागोॅ पर ठिसुआवै
अछरंग छोड़ी तुलसी बदला अटकुटरा केॅ रोपै
कोतवालोॅ रोॅ कैदीये आबेॅ मनपसन्द जजमान
अपराधी केॅ पेंशन मिलतै पुरस्कार-सम्मान
सचकोरवे रोॅ मुँह पर गोबर, कादोॅ-कीचड़ थोपै
घरढुक्की मेँ माहिर आबेॅ थानोॅ पर के तपसी
भगतो ओकरे, भगताइन भी शाह आरो सम्राट
सब जग्घा पर सिंहासन छौ कहाँ बिछावौं खाट
खूब सताहा साथोॅ मेँ खेलै छै झुम्मर-झकसी
जहिया सें अपनोॅ देशोॅ रोॅ भाग्य-विधाता खगलौं
डैनी चाहै छै ओझा केॅ केना सोझे निगलौं।