के बोललकै? सब नश्वर छै
जे स्थिर छै-अस्थिर छै।
संसारोॅ में दुक्खे दुख
ढूढ़ै छै बेकारे सुख।
जे समझै ई वही प्रुद्ध
के बोललकै? गौतम बुद्ध।
केकरोॅ कहलोॅ-शुभ विचार ठो
कर्म, वचन उद्देश्यो आठो।
जीवन यही बनावेॅ पारेॅ
निर्वाणों केॅ लावेॅ पारेॅ।
क्रिया यही सें होतै शुद्ध
के बतलैलकै? गौतम बुद्ध।