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मौसा जी / अमरेन्द्र

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मत दौ कन्नी मौसा जी;
आठ चवन्नी मौसा जी।
धूपोॅ सें जादा चमचम
चमकै पन्नी मौसा जी।
हौ जुग छू मन्तर भेलौ,
कहाँ अधन्नी मौसा जी!
कोन बथानी में होय छै
गाय बकन्नी मौसा जी?
आठ कमैलौ; मौसी केॅ दौ-
चार चौवन्नी, मौसा जी।