Last modified on 11 जून 2016, at 01:14

झिन्नुक आरो दादी / अमरेन्द्र

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:14, 11 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatAngi...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कहाँ हेरैलै नयका झिन्नुक,
दैया के दिल धुक-धुक, धुक-धुक।
लू लगतौ ई कड़ा रौद में,
बाहर नै जों रुक-रुक, रुक-रुक
चार औंगरी के चौड़ा पटरी,
रेल वही पर छुक-छुक, छुक-छुक!
कपड़ा-लत्ता सब नानी दै,
पैसां दै में धुकचुक, धुकचुक।
ढिबरी, लालटन, दीये-अच्छा
बिजली तेॅ बस भुक-भुक, भुक-भुक।
भोरे सें चिकरै छै दादी,
कहां हेरैलै नयका झिन्नुक?