एक दिनो रोॅ बात रहै
ऐलॉ कहीं बरात रहै
केसो आरोॅ मुरारी पंडित
ऐलै जबेॅ दुआरी पंडित
रहै पिन्हाबा हुनको धोती
हाथों में दोन्हूं के पोथी
पूजा पाठ में होलै अबेर
मिललै मतर चढ़ोवा ढेर
रहै परस्पर दोनों साथी
मतर झगड़लै पिछला राती
रातो बड़ी अन्हरिया हो
रस्ता एक डगरिया हो
जिद में जौं जौं जाबेॅ लगलै
रस्ता कठिन बुझाबेॅ लगलै
पंडित गिरलै हाय गे माय
दान दक्षिणा गेल छितराय