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सायकिल / दिनेश बाबा

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चलै छै गाँव, सहर के अंदर
सायकिल एक सवारी सुन्दर
बिना तेल मोबील चलाबोॅ
चाहे मीलों-मील चलाबोॅ
ऊर्जा लागै छै देहोॅ के
करत करबाबै देहोॅ के
एक्के साथें तीन सवारी
तैय्यो नैं करथौं इनकारी
मजा भी दै छै वें ढूवै में
दू क्विंटल सें बेसी भारी
सायकिल बोलै टन टन टन
मारो पायडिल दन दन दन
मजा के बदला लगथौं चांटा
जब टायर में गड़थौं कांटा
बड़ी करैथौं फील इ सायकिल
रग करथौं जब ढील इ सायकिल