Last modified on 16 जून 2016, at 22:29

मुक्त आकाश / शैलेन्द्र चौहान

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:29, 16 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलेन्द्र चौहान |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बंद करके कमरा
वे बेहस कर रहे हैं
सृजन कर रहे हैं

मैं निठल्ला
बैठा हूँ लॉन में
उन्मुक्त आकाश के नीचे
हरी-भरी दूब पर
लैंपपोस्ट से सटकर

भाग रहे हैं सड़कों पर
साइकलें, मोटरगाड़ियाँ, ट्रक
नहीं रह पाता स्थिर मेरा ध्यान
सुनता हूँ कैंची की आवाज
खच.... खच...

काट रहा है कोई
सुव्यवस्थित ढंग से
मेंहदी की बागड़
बतियाता हूँ मैं उससे

अंदर हैं वे
इस बात का क्षोभ है मुझे
बाहर हूँ मैं
मुक्त आकाश के नीचे
खुश हूँ इस बात से।