Last modified on 22 जून 2016, at 00:33

दुःख / भुवनेश्वर सिंह भुवन

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:33, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भुवनेश्वर सिंह भुवन |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चित्रकार चित्र बनाय केॅ, देवाली पर लटकाय केॅ,
ममता सें करुणा सें धुरी-फिरी देखी केॅ
कहौं चल्लॅ गेलै।

चित्रॅ के आदमी के छाती में,
भोंकलॅ छै तिनकानी भाला,
लहू बहै जेना घुई-यैलॅ ज्वाला,
आदमी तड़पै छै, घोलटै छै
मगर भाला ने खुले छै।

जुग-जुग सें टाँगलॅ छै ई चित्र
ने ऐलै, भाला खोलबैया कोय मित्र,
नै कैलकै कोय मरहम-पट्टी
ठीक वहीना, जहिना जिनगी के छाती में,
दुक्खॅ के भाला गाँथलॅ छै।

जिनगी लहुवैलॅ लोर कानै छै,
पानी सें बाहर मछली रं तड़पै छै,
कुहरै छै छटपटाबै छै,
मतुर भाला नै खुलै छै।

आय तायँ जीवें बहुत कैलकै,
मगर कोय दवा लाग नै लैलकै।