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बारह / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह

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चैत हे सखी निमिया के डरिया, झूला झूलै छै शीतल माय हे
प्यासलो तबासलो, रहिया बटोहिया केॅ, चुरू चुरू पनिया पिलाय हे।

बैसाख हे सखी माथे मटुकिय, गगरी पे गगरी भरी जाय हे
लचके कमरिया, ऊँच नीच डगरिया, छलकी केॅ अँचरा तीताय हे।

जेठ हे सखी सासु पुतहूवा, बड़ गाछ पूजी पूजी जाय हे
सतवान सावित्री के, कथा सुनी केॅ, सिन्दूर सोहाग बचाय हे।

अषाढ़ हे सखी हहरै जे मनवा, छतिया में नथिया नुकाय हे
बरसै जे थमी थमी, अदरा पुनर्वसु, सोरी लरकोरी हहराय हे।

सावन हे सखी बड़ी मनभावन, भौजी ऐंगन बड़ी शोर हे
पटोरा पहेरी बहिन, ऐली नैहयरवा, रखिया बँधाय लेॅ भैया मोर हे।

भादो हे सखी पुरलै सपनमा, जसोदा ऐंगनमा झूले लाल हे
जमुना के यै पार, मथुरा नगरिया, वै पार गोकुल ग्वाल हे।

आसिन हे सखी भरत पर्णकुटी, ऊख बिख मन अकुलाय हे
पादुका राज गेलै, राम राज घुरीऐलै, जियेॅ सहोदर भाय हे।

कातिक हे सखी सुख सुकरतिया, छवे छठ चारी जेवठान हे
औरा तर कोढ़ा दान, दीया संग बाती, तुलसी के सेवा असनान हे।

अगहन हे सखी माथा पर बोझो रखी, मलकी चलै छै दोनो जान हे
पूरलै सपनमा, घर ऐलै धनमा, पिन्हबै जे सोनमा दोनो कान हे।

पूस हे सखी ठुनकै छै नुनुआ, बगिया पर धरलेॅ छै धियान हे
पूसो के पीठो, बड़ी करमैतो, बाँटी चुटी खाये हर किसान हे।

माघ हे सखी पपहरनी मेला, घूरबै गड़ी पर टप्पर टान हे
बरदा जे झूमी झूमी, घटिया डोलाबै, बटिया सोटकटिया सोहान हे।

फागुन हे सखी भोला बरतिया, अजगुत बौरह्वा के सिंगार हे
आँगेॅ भभूती, जट्टा चनरमा, गल्ला मेॅ नगवा के हार हे।