अलगर्जी चरबाहा आबी खेलै छेलोॅ वतेॅ झगड़ा झाँटी घरेतलक; हमरा गाछी तर हरदम मेल॥ हमरा डारी पर उमगी केॅ दोल दोलिच्चा खेलै छै॥ हम्में समझैछी गोदी में हमरे चिलका किलकै छै॥ ऊ वत्सलता अमर प्यारके धारतलक विसखैलोॅ छै। पतझड़में, पतझड़ गाछी के दसाहीन भेॅ गेलोॅ छै॥