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आत्महत्या / पतझड़ / श्रीउमेश

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पैलो पांडे़ रस्सा लेॅ केॅ चढ़लोॅ हमरा डारी पर।
की सोचीं केॅ ऐलोॅ छै नै जानलोॅ हम्में रत्ती-भर॥
देखै छी मोटा डारी में बांधै छै रस्सा के ओर।
ससरफंद बान्ही रहलोॅ छै वै रस्सा के दोसरोॅ छोर॥
दुनियाँदारी सें अपना केॅ जेना ऊ भूली गेलै॥
गल्ला में फन्दा पीन्ही केॅ उछली केॅ झूली गेलै॥
बड़का जी काढ़ी देल छै आँखो बाहर ऐलोॅ छै।
पैलो पांडे के देहोॅ में केकरोॅ भूत समैलोॅ छै॥
घर-झगड़ा के कारन पैलो पांड़े देलकोॅ अपनों जान।
भोरे पुलिस-दरोगा ऐलै संकट में छै सबके प्रान॥
गाछी तर के सुनलै छी हम्मू कत्तेॅ इतिहास विचित्र।
जौने देलेॅ छै अपना अनुभव के कत्तेॅ कथा पवित्र॥
यै देसोॅ सें मेटैलेॅ अंग्रेजोॅ के एकदम बुनियाद।
ऐलोॅ छेलै गाछीतर ऊ वीर चंद्रसेखर आजाद॥
अपना छोटोॅ टा पिस्तौलोॅ के गोली से धूआँधार।
कत्तेॅ अंगरेजोॅ केॅ वें भेजी देलकै जम्मों के द्वार॥
गाछी के ओटोॅ सें वें छोड़ै छेलोॅ आपनोॅ गोली।
खेलै छेलोॅ अंगरेजोॅ के गरम लहू से ऊ होली॥
अंतिम गोली अपना माथा में मारी केॅ ऊ बलवीर।
गेलोॅ स्वर्ग कथीलेॅ छुअेॅ देतोॅ केकरै पूत सरीर॥
जै गाछी तर आजादें करलेॅ छेलोॅ लीलोॅ अबसान।
वै गाछी के आज तलक गौरव सें लोगें करेॅ बखान॥
हमरा गाछी तर जे पैलो पांड़े जान अकलेॅ छेॅ।
ओकरा सें वें दुनियाँ मंे खाली दुर्नाम कमैलेॅ छेॅ।
मरलौ पर ओकरै परिवारे लाज तलक दै छै गारी।
की होलै? वें जान गमैलक, छुटलै ई दुनियाँदारी॥