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पतझड़ / पतझड़ / श्रीउमेश

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आवेॅ पछिया के धमगज्जड़, हू-हू-हू के छै तूफान।
यै धुक्कड़ में गाछ-गछैली के पत्ता केॅ नैछै त्रान॥
आज तलक जे झुकलोॅ नै गौरव सें रखलकोॅ आपनोॅ सान।
सेबा में रहलोॅ छै हरदम, सही धूप-बरसा घमसन॥
लेकिन दुर्दिन के फेरोॅ में, फाँकै छै धरती के धूर।
हमरोॅ पत्ता-हमरोॅ गौरव; भेलोॅ छै हमरा सें दूर॥
हमरा सब के बदहालत छेॅ भेलोॅ हमरोॅ पात निपात॥
ठुट्ठा-बुच्चा-नांङटोॅ होय केॅ, आज सहँ छी ई अपघात॥