Last modified on 4 जुलाई 2016, at 01:32

गुब्बारा लो / श्रीनाथ सिंह

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:32, 4 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीनाथ सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कहाँ, कहाँ से ऐ अलबेले!
तू लाया यह गुब्बारा।
बता बता रे ऐ अलबेले!
क्यों लाया यह गुब्बारा?
उड़ा बादलों में जाता है,
तितली की गति दिखलाता है।
परियों की सुन्दर रानी का,
क्या तू मन हरने जाता है?
झाकं चंद्रमा की खिड़की से,
किसने तुझको चुमकारा?
बता बता रे बाल सलोने!
उड़ा रहा क्यों गुब्बारा?
ओहो! क्या तुम नहीं जानते,
सपनो का कल मेला है।
परियों के प्यारे बच्चों का,
चौ तरफा से रेला है।
परीदेश से इसीलिये यह,
आया है बेचनहारा।
बातचीत का समय नहीं है,
गुब्बारा लो, गुब्बारा।