Last modified on 3 मार्च 2008, at 21:21

शब्द ऐसा ही चाहिए / जयप्रकाश मानस

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:21, 3 मार्च 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयप्रकाश मानस |संग्रह=होना ही चाहिए आंगन / जयप्रकाश मा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शब्द ऐसा ही चाहिए

जिसमें हों –

गाँव की भोली-भाली

छुईमुई लड़की के अंतस में

उफान मारता प्रेम

पड़ोसियों के खेत में

गर्भाती धान-बालियों की मदमाती गंध

जिसमें हों –

मिथ्यारोंपो, षडयंत्रों की गिरफ़्त में

छटपटाते सत्य की रिहाई के लिए

सबसे ठोस बयान

अंधड़ के बाद

धूल सनी आँखों से भी

क्षितिज तक

देखने की दृष्टि

शब्द ऐसा ही चाहिए


शब्द ऐसा ही चाहिए

जिसमें हों

सूखे में डूबी

जलती बस्ती के लिए

आम्ररस या पुदीने का शरबत

आदमी और आदमी के बीच

टूट चुके सेतु को

जोड़ने की उत्कट अभिरति


जिसमें हों -

अज़ान और आरती के लिए

एक ही अर्थ

और अंतिम अर्थ

अमानव के पदचाप को परख लेने की श्रवण-शक्ति

शब्द ऐसा ही चाहिए