Last modified on 9 अगस्त 2016, at 00:03

एक बूँद / पवन चौहान

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:03, 9 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पवन चौहान |अनुवादक= |संग्रह=किनार...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पत्ते पर टिकी थी मैं
ओस की बूँद बनकर
सूरज की किरणों से बनी सतरंगी
डोली हर दिल पर
मेरा निखार यौवन पर था
षर्माई मैं हल्की बयार के स्पर्श पर
चहुं ओर संगीत बज उठा
पायलों की झनकार
हर ताल पर ठुमक-ठुमक जाती
प्रकृति ने किया श्रृंगार
मैं मस्त थी
सबकी मस्ती में खोकर
चहकी थी मैं चिड़िया की चहक पर
पर मुझे क्या पता था
पल भर का है मेरा यह सफर
तेज आंधी ने मुझे उड़ाया
पटक दिया नीचेे तालाब पर
अब यहां घिरी असंख्य बूंदों के बीच
अपना अस्तित्व तलाश रही हूँ
सूरज से एक बार फिर अकेले
मिलना चाह रही हूँ