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तोरोॅ पूर्वजें लेॅ जाय रहौं सौ कनकठिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

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तोरोॅ पूर्वजें लेॅ जाय रहौं सौ कनकठिया
तोरा जेतना चल्हौं वोतना चलैने जा।

तोरा पूर्वजें भोज करै रहौं सौसे गाँव
तोंय जेतना खिलावेॅ सकै छोॅ खिलैने जा

दही, चूड़ा, भूरा खिलाय छेलौं परदादा
तोरा सें जे जूड़े सकत्हौं वहेॅ जुड़ैने जा

हाथी-घोड़ा पूर्वजें बारात लेॅ जाय रहौं
तोंय जेतना लेॅ जावेॅ सकभेॅ लिवैने जा

बेटा शादी में दहेज नै दान करै रहौं
तोंय दहेज राशि कर्जा लेॅ करि पुरैने जा

पुत्र शादी में तोरा दादा माँगे नै रहौ.
तोंय औकातोॅ सेॅ बेशी माँगने जा

तखनी रोपनी बिहनबाहा खोजै नै रहै
आय तेॅ गल्ली-कुच्ची घरे घोॅर खोजने जा

कटनियाँ दादा खेतोॅ में आवै बेशुमार
आय कटनियाँ केॅ घर-घर खुशामद करने जा

खेतोॅ सेॅ कटनियाँ लोढ़ा नै लै छेलै
‘राम’ हिनका खेतोॅ सेॅ बोझा भर लेने जा।