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ज़िदु / अर्जुन हासिद

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वेठो हून्दुसि त वेठो ई हून्दुसि
ज़िदु
कंल्ह बि, गडु हुआसीं
सही आहे, अलाए ग़लत

उस जो पाछो
ॼाणु उन हंधि अची पहुतो
हमेशा जियां झिरिकी बि
साॻिए वक़्ति अची पहुचे
ॿाहिरि गंढे वारे जो बि होको आहे।

मां वेठो आहियां
बिल्कुल ख़ाली।

उथी हथु मुंहुं धुआं
संभिरां
कंहिं खां थो पुॼे
ज़िदु।