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चोर महानगरी / श्याम जयसिंघाणी

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तुंहिंजी गै़र हाज़िरी सिंघी
को बि पाड़ेसिरी रातो राति
तुंहिंजो घरु चटे बुहारे छॾीन्दो
मोटन्दें: न पाड़ेसिरी हून्दो
न सन्दसि घरु!