Last modified on 1 अक्टूबर 2016, at 16:29

माक / मोहन गेहाणी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:29, 1 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन गेहाणी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दरियुनि जे शीशनि ते
माक
राह तकीन्दे रात
धुंधियल अखियूं
कंहिं नारि जूं!

दरियुनि जे शीशनि ते
माक
प्रभात वेले
सनान बाद
छंडियल वारनि जूं
फींगूं!

दरियुनि जे शीशनि ते
माक
पोर्हियति जे
पघिरियल जिस्म ते
सूंहं!
दरियुनि जे शीशनि ते
माक
कंहिं ग़रीबि जे
गरम साह जो
निशानु!