Last modified on 1 अक्टूबर 2016, at 16:31

वक़्तु / मोहन गेहाणी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:31, 1 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन गेहाणी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तो ॻाल्हि पिए कई आहे
वक़्त जे वारीअ ते
क़दमनि जा निशान छॾण जी
पर मां
टाकुईं ऐं सन्ही बर्फ़ ते
हलन्दड़
वारीअ जो वसव्वुरु
कीअं थो करे सघां?