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मुंहिंजी सिन्धु! / अर्जुन ‘शाद’

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आहि साॻी ज़मीन ऐं जहो आसमान
हिति बि आहिनि, हुते ई न हा गुलिस्तान
चौतरफ़ हिति बि थो सिन्धु वारा ॾिसां
पर लॻे सिन्धु जियां छो न हिन्दुस्तान!
(1952)