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रूह / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’

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हर चीज़ में
हर हंधि
थो ॼाणां सभु कुझ
मां अज़ली
मां आब्दी
मां सभ जो रूह...

मादी जे हुजां
त मूंखे मारे कोई
मां
ॼाओ ई नाहियां

मरी किअं सघंदुसि?