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उपहार / मनप्रसाद सुब्बा

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यौटा चोखो
अत्यन्तै अकृत्रिम
काँचो
कन्चन
यौटा धागोसम्म नबाँधेको
असुरक्षित
तर निडर
नि:सङ्कोच
अनि निर्दोष
यो मेरो नग्नता
तिमीलाई उपहार !

योभन्दा सुन्दर उपहार अर्को भेट्टाइनँ, रागिनी !