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केनोपनिषद / मृदुल कीर्ति

ॐ श्री परमात्मने नमः

शान्ति पाठ
हे ईश ! मेरे अंग सब परिपूर्ण और बलवान हों,
नेत्र , श्रोत्रम, प्राण , वाणी , बल इन्द्रियों में महान हों।
उपनिषदों में प्रतिपाद्य ब्रह्म से, गहन मम सम्बन्ध हों,
हो त्रिविध तापों की निवृत्ति, परब्रह्म तत्त्व प्रबंध हों॥