Last modified on 7 मई 2008, at 20:03

संभलो दर्शको / हेमन्त शेष

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:03, 7 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त शेष |संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष }} संभलो दर...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

संभलो दर्शको

ऊब की मक्खी को

अपनी उम्मीद की पोशाक पर बैठने न दो

सम्भव है नींद खुलने पर इस बार

किसी बदली हुई दुनिया में जागें हम

जागने से बड़ी है इस बार

पोशाक

संभलते दर्शको