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सलि हीऊ सुवालु / मीरा हिंगोराणी

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हले थो अजगरु टैड़ी चाल,
आहिन रिछ जा डिघा वार,
करे थो सरकस में कमाल,
अम्मां सलि तूं ही सवालु।

घुमे खुलियो झंगल में शीहुं,
हले चक्कर में रात एं डीहुं
खाधो खीमन सख्तु कमंदु,
भॻो मारिए जो अंगियों उंदु।

सॼो डीहुं रोए मुहिंजी गुड्डी,
वहेसि नक मां सुण सुण पाणी
नानी मुहिंजी केॾी सियाणी,
ॿुधाएं नितु नईं कहाणी।