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कन कोशाई / मीरा हिंगोराणी

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हरदमु जारी रखूं पढ़ाई,
जे न पढूं त कन कोशाई, (खिंचाई)

पढ़ी-लिखी थियो विद्वान,
कयो देश जो ऊंचो नाऊं,

जॾहिंबि बाबा दॿ कढ़/े थो,
खाऊं उन डींहु मार इलाही।
जे न पढूं त...

रांद-रुंद बि ॾे न मज़ो,
बस्ते खेलु-तमाशो खसियो,

छुट्टियुनि बि त अखि फेराई, (कनखिंचाई)

लॻे पियो ॼणु शामत आई।
जे न पढूं त कन कोशाई!