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पिरोलियूं / मीरा हिंगोराणी

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बदन मुंहिंजो लालम लाल,
कयां थो रघंणे में धमालु,
सभको खाईरतु बघाए,
शामू मंडीअ में ॿोक लॻाए।

नाहियां पखी न मां बादलु,
कयां थी आसमान जो सैरु,
तेजु उॾामनि फड़-फड़ पन,
रखां अगर झंगल में पेरु।

लिखी चाक सां हर-हर थो उा/हे
लॻी मौज मास्तर खे आहे।
कजो ॿारो मूंखे माफु,
रंगु आ कारो अखर साफु।