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सलियो पिरोलियूं / मीरा हिंगोराणी

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”शहरनि में आ शहिरु महानु,
कनि सभई गंगा सिनानु,

चवनि हरीअ जो दुआरो,
सोचो मुहिंजो नालो ॿारो“
(हरिद्वारि)

जन्ता जो शेवकु आहियां
सुख-दुख जो संदेशु ॾियां,
वंडियां परदेसनि जूं खबरुं,

क्यां घिटीअ-घिटीअ जोसौरु
सलियो पिरोली,
ॿुघायो करे।