Last modified on 2 फ़रवरी 2017, at 11:04

चाह तुम्हारी / श्वेता राय

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:04, 2 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्वेता राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGee...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जीवन में बस चाह तुम्हारी

मन से मन की नातेदारी
महके जीवन की फुलवारी
रात अँधेरी भी लगती है संग तेरे उजियारी
जीवन में बस चाह तुम्हारी

भरी भाव से हिय पिचकारी
रंगती है जो प्रीत हमारी
बाहों में तेरी पाती मैं अपनी दुनिया सारी
जीवन में बस चाह तुम्हारी

जब भी मैं जीवन में हारी
करुण हो गई हर सिसकारी
सुधियाँ तेरी आ तब कहती मुझको प्राण प्यारी
जीवन में बस चाह तुम्हारी...!