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चारि फेरा / मुकेश तिलोकाणी

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चइनि फेरनि
ॾियण खां पोइ
बिही रही।

मुश्क ऐं सुरिहाणि
पाण सां हुअसि
तुंहिंजो नालो!?
पोइ भला...
पोइ भला तूं...तूं?
फिकी मुर्क
सचु-कूडु?
हथु ॾेखारि
अखियूं मिलाइ
हथु मिलाइ
अखियूं बंदि करि
बराबरि
हाणि अहिसासु
थिए थो।