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हवाऊँ / मुकेश तिलोकाणी

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हिते, ऐं
हुते में
ख़ासि फ़र्कु़ नाहे।
खु़शि सदा।
पंहिंजीअ जाइ।

ॻाल्हियूं
चुर पुर कनि थियूं
हवाऊँ खेनि
दॻु लॻाए ॼाणनि।

ख़ामोशी
आनंदु ॼाणि

विसि विसि मज़ो
पचार ”बचति“!
हिसाबु साफु़।