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अञा / मुकेश तिलोकाणी

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बाक़ी वक़्तु
दोॾा सलामत खपनि
मशीन हलंदी रहे।
कन सरिला रहनि
ऐं, चप पइंचायत
मेढ़ींदा रहनि
वायू मंडल में वाइरसु
फहिलाईंदा रहनि
आनंद मय सुबुह
मनु मोहीदड़ शाम
नाटिकी रंगु महिलु
शाही स्टेजु
झमटु तालु
ताड़ीअ जो
ठोक ठोकां,
वात ठोकां,
वात सां ॿित ॿित
पेरनि में चुर पुरि
ज़हन में
सोचु ऐं लोछ
बदन में
सीसराट