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सौग़ात / लक्ष्मण पुरूस्वानी

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तो दिनी आ फ़कत, ख्वाबनि जी सोग़ात
अखियुनि खे मगर अश्कनि जी सौग़ात

छा-छा न मिलियो आ मूंखे तुहिंजे प्यार में
दर्द आहूं ऐं तड़फण जी सोग़ात

सभि कुझु त दिनो मूं तोखे पहिंजो
दिनी मोट में तो दुखनि जी सोग़ात

दिल में रखियो तोखे नाजुक गुल जियां
पर बेदर्दी दिनी तो, कंडनि जी सोग़ात

भिटकां पियो अकेलो अन्धेरनि में
तो ई त दिनी, तन्हाइन जी सोग़ात

ॿोझु लॻे थी ज़िन्दगी तुहिंजे बिना
ज़रुरी आ ‘लक्षमण’ रहिमतुनि जी सोग़ात