मक्खी, मक्खी, ओ मक्खी,
ढीठ बहुत है तू झक्की!
बार-बार क्यों आती है,
चुनमुन को बहुत सताती है।
मेरा चुनमुन सोया है,
वह सपनों में खोया है।
जा मक्खी, तू जा, चल जा,
उसको ज्यादा नहीं सता।
मक्खी, मक्खी, ओ मक्खी,
ढीठ बहुत है तू झक्की!
बार-बार क्यों आती है,
चुनमुन को बहुत सताती है।
मेरा चुनमुन सोया है,
वह सपनों में खोया है।
जा मक्खी, तू जा, चल जा,
उसको ज्यादा नहीं सता।