जोकर आया, जोकर आया,
उछल-कूदता जोकर आया।
पहन के टोपी, जोकर आया,
देखो गोपी, जोकर आया।
उछल बाँस पर चढ़ जाएगा,
हाथ छोड़कर लहराएगा।
दाँत दिखाकर, हाथ नचाकर
अभी कलामुंडी खाएगा।
सिर के बल यह चल सकता है,
आग हाथ पर मल सकता है।
जलती हुई आग की लपटें,
उछल, पार करता यह झट से।
अगले पल फिर हल्ला-गुल्ला,
गाल फुलाता ज्यों रसगुल्ला।
ढीला-ढाला खूब पजामा,
लगता है यह सचमुच गामा।
अभी हवा में उड़ जाएगा,
फिर जब धरती पर आएगा,
गाल बनेंगे तब गुब्बारा,
हँसी-खुशी का ज्यों फव्वारा।
हँस देगी तब सारी दुनिया,
जैसे छूँ पड़ीं फुलझड़ियाँ।