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भक्काटे / श्रीप्रसाद

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पीली, लाल, गुलाबी, नीली
भक्काटे
ऊपर उड़ती हैं चमकीली
भक्काटे
किसकी सबसे ऊपर पहुँची
आसमान छूती है
इसका मंझा कितना अच्छा
कितनी मजबूती है
कटी एक तो शोर हो रहा
भक्काटे

हो-हो चारों ओर हो रहा
भक्काटे

उड़ती हुई पतंगें सुंदर
पास-पास आती हैं
गले-गले आपस में जैसे
ऊपर मिल जाती हैं
ऊपर करतीं सैरसपाटे
भक्काटे

आसमान को मिलकर पाटा
भक्काटे

लिए परेती बिलकुल छोटी
निन्नी, दौड़ी आई
रंगबिरंगी वह पतंग भी
छोटी-सी ही लाई
लिए पतंग खड़ी चिल्लाती
भक्काटे

वह पतंग क्यों नहीं उड़ाती
भक्काटे

आसमान में मेला-सा है
सज करके सब आए
यह भारी उत्सव है, सब हैं
ऊपर आँख लगाए
किसकी नीचे फर-फर आई
भक्काटे

पेच लड़ाया किसने भाई
भक्काटे

छोटी-छोटी, बड़ी-बड़ी हैं
उड़ा रही है टोली
कहाँ गई, अब नहीं दीखती
सुन पड़ती है बोली
कटी पतंग लूटते हैं सब
भक्काटे

छीना-झपट, छूटते हैं सब
भक्काटे।