नी सइओ! मैं गई गवाती।
खोल घूँघट मुख नाची।
जित वल्ल देक्खाँ दिसदा ओही।
कसम ओसे दी होर ना कोई।
ओहो मुहकम फिर गई दोही।
जब गुर पत्तरी वाच्ची।
नी सइओ! मैं गई गवाती।
खोल घूँघट मुख नाची।
नाम निशान ना मेरा सइओ!
जे आक्खाँ ताँ चुप्प किसे ना करीओ।
बुल्ला खूब हकीकत जाची।
नी सइओ! मैं गई गवाती।
खोल घूँघट मुख नाची।
शब्दार्थ
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