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प्रवासी / विकाश वत्सनाभ

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एकटा दुरंगमनिया धिया सन
स्मृतिक पेटार सैंतने
ओ बिदाह भेल अछि आन ठाम
जाहिठाम रहैछ गामहुँ सँ हेंरगर
ओकर हितमित
ओकर सखा समांग
 
जतरा काल नहि छुलकै चिनबार
नहिये टेकलकै पीपर तर माँथ
कहाँ पुछलकै पुरहित कक्का केँ
कहिया परैछ भदवा
कहिया परैछ मसांत
फोलि लेलकै पाएरक जाँत
उपारि लेलकै मोन सँ खूँटेशल
किसिम-किसिमक बात
कतेक रास आपकता
कतेक रास अनुराग
 
 
ओ सुनने रहै घूर त'र
चाहक दोकान सँ देसक मचान धरि
जोताइत छै परदेसिया सँ
भरल रहै छै सोनागाछी
एसगरुआ डिरेवर-खलासी सँ
झुग्गी मे जाहि ढिबरी सँ होइत छै इजोत
तकर टेमी सन नहु नहु
मिझा रहल छैक गाम
सुखा रहल छैक बाधक घाम
आ,अहि अनभुआर ठाम
कुंटालिया बोरा लधने
घमायल अपसियाँत भेल गनैछै
रामे जी राम एक...
 
ओकरा इहो अनजानल नहि छै
जे, कोना सीटहाक बाप
रेतल गेलै बम्बई मे
कोना तिरपितबाक ननकिरबी
निपत्ता भेलै टरेन सँ
कोना फेक्ट्रिक धुआँ पिबैत
चिखना भेलै मंसोमातक इज्ज़ति
 
ओकरा त' इहो बुझल छै
जे असाम मे चाहक पात खोंटैत
बंगाल मे धनरोपनि करैत
दिल्ली मे ठेला हँकैत
कमा लेतै सय पचास
बिलगाउक बिदैत सहैत
अपगरानिक शोणित पिबैत
भोगैत रहतै जिनगीक संताप
 
मुदा अहि अनटबिनट सँ
कहाँ इन्होर होइछ ओकर खून
कहाँ सन्हियाए छथिन ओकरा मे
दीनाभद्री की सलहेस
ओ अहि आफदक अमार सँ
अलोपित होइत देखैत छै बिथुती
ओकरा होइछै भरोस
आब जुमा सकतै परिवारक
नितांत बेगरता
जेना की रोटी-नुआ-एकचारी
 
ओ सल्फर/सिलिकन मे लेराहएल
चिमनिक आँच सेकैत
अपन देहरिक बसातक सोह मे
चुमकि उठैत छै राकस सन
ठर्राक घोंट मे आकंठ डूबल
मेटबैत छै राति क' ठेही
भोरे मोन केँ परतारैत
ठाम ठाम मसकल जिनगीक
साट' लगैत छै चिप्पी...