Last modified on 26 मई 2008, at 02:06

कुपथ कुपथ रथ दौड़ाता जो

पथ निर्देशक वह है,

लाज लजाती जिसकी कृति से

धृति उपदेश वह है,

मूर्त दंभ गढ़ने उठता है

शील विनय परिभाषा,

मृत्यू रक्तमुख से देता

जन को जीवन की आशा,

जनता धरती पर बैठी है

नभ में मंच खड़ा है,

जो जितना है दूर मही से

उतना वही बड़ा है.