कवि, पत्रकार और अनुवादक। जन्म- 20 दिसंबर 1966। बीए तक की शिक्षा गढ़वाल विश्वविद्यालय और फिर दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से एमए किया। 1986 में मेरठ के अमर उजाला की स्थापना से पत्रकारिता शुरू करने वाले प्रमोद ने यहां तीन साल तक मुख्य डेस्क में काम करने के बाद जनसत्ता के मुंबई संस्करण में 1989 में और फिर इसी अख़बार के चंडीगढ़ संस्करण में 1995 तक मैगज़ीन एडिटर के तौर पर काम किया। इसके बाद टीवीआई दिल्ली से इलेक्ट्रानिक मीडिया में पत्रकारिता की शुरुआत। यहां एसोसिएट एडिटर के पद पर रहते हुए सीनियर बुलेटिन राइटर के तौर पर काम किया और 1999 में पंजाबी वर्ल्ड-न्यूज में प्रोड्यूसर न्यूज़ के तौर पर जुड़े रहे। पिछले साढ़े पांच साल से ज़्यादा समय से दिल्ली में सहारा इंडिया टीवी में कार्यरत। अपनी ही तरह का आदमी (1991) पहला कविता संग्रह प्रकाशित जिस पर 1992 में भारत भवन के एक समारोह में शरद बिल्लौरे अवार्ड मिला। रूपिन-सूपिन नाम से दूसरा कविता संग्रह (2001) आया। रात की चीख़ ( दुनिया के 14 जानेमाने लेखकों की कहानियों का अनुवाद), क्या संबंध था सड़क का आदमी से (देश के प्रमुख युवा कवियों की रचनाओँ का संपादन), इतिहास संदर्भ कोश (1996), सुरों की सोहबत में (1993- भारत के संगीत-नृत्य पर चुनिंदा आलेख)। देश विदेश की भाषाओं में अनुवाद के अलावा विष्णु खरे और बारबरा लोत्ज़े संपादित दुनिया के प्रमुख लेखकों पर केंद्रित जीवंत साहित्य में रचनाओं का हिंदी के साथ अंग्रेज़ी और जर्मन में अनुवाद प्रकाशित। एक कविता और एक कहानी संग्रह प्रेस में। भारतीय रंगमंच, कला, साहित्य और संगीत पर ख़ास महारत। दिल्ली में प्रवास। (Many people wrote Konswal too)