Last modified on 15 मार्च 2017, at 12:30

बिजली / केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:30, 15 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ मिश्र 'प्रभात' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अट्टहास कर, पापी का मैं-
हृदय हिलानेवाली हूँ;
गगन-गोद में नृत्य-मग्न मैं
करालिनी हूँ काली हूँ!

पिशाचिनी हूँ शोणित प्यासी
क्रोध-मूर्ति, मैं हूँ न सरल;
मृत्यु-सरीखी लिये घूमती
प्रलय-पात्र में नाश-गरल!

मेघों के विप्लव-दल की मैं
हूँ नवीन-नायिका उदण्ड;
चिनगारी हूँ सर्वनाश की
कुटिल चक्र चालिनी प्रचण्ड!

हो सवार द्रुत बादल-रथपर
खोज रही हूँ मैं निर्भय-
कंसराज का पता; हुआ है
आज दुष्ट का पापोदय!

बनकर आग बरस जाऊँगी
शक्तिशालिनी मैं तत्काल
चिह्न न शेष रहेगा कोई
अन्यायी का क्षुद्र विशाल!
21.6.28