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शिकारी आ गए / योगेन्द्र दत्त शर्मा

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तीर हाथों में लिये पैना
शिकारी आ गये!
नीड़ में सहमी हुई मैना
शिकारी आ गये!

आंख में
भीगा हुआ क्रंदन
दृष्टियों में
मूक संबोधन

दर्द से चटका हुआ डैना
शिकारी आ गये!

गोद में
सिमटे हुए चूजे
जंगलों के
शोर अनगूंजे

स्याह गहरी हो गई रेना
शिकारी आ गये!

हूक-सी
उठने लगी दिल में
आ गई है
जान मुश्किल में

कंठ में ही फंस गये बैना
शिकारी आ गये!