रात के घिरते ही
पढ़ने लगता हूं मैं अपनी प्रेम कविताएं
करने लगता हूं आविष्कार
प्यार के दिव्य रंगों का
रंगने के लिए अपने स्वप्न
छुपाने के लिए अपनी हताशा,
निरीहिता और रिक्तता
इस बात से बेखबर
कि सुबह तुम मुझे मिलोगी
इन्हीं रंगों में छिपाये हुए खुद को।