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सुना है / विनोद शर्मा

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अक्सर रात में
नींद की टीवी स्क्रीन पर
देखता हूं मैं
जिन सपनों की फिल्में
सुबह वही
मृत पड़े मिलते हैं मुझे
अपनी उदासीन आंखों में

मंत्रबिद्ध-सा मैं
रीवाइंड करने लगता हूं
अपने पुराने, अच्छे दिनों की वीडियो कैसेट
मन के वीसीआर पर
और देख्ता रहता हूं
स्मृति के बड़े परदे पर
अपनी मनपसन्द पुरानी फिल्मों के
कुछ दुर्लभ सीन

सुना है कि स्मृतियां
पुनर्जीवित करती हैं
मृत सपनों को।