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इतिहास / विनोद शर्मा

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ब्रितानी साम्राज्य और उसके गोरे प्रभुओं की
महिमा का गुणगान करते हुए
इतिहास के गोरे प्रोफेसर ने
टाई कीनॉट ठीक करते हुए
गद्गद स्वर में कहा-
”यह तो जमाना वह भी था
जब पूरब से पश्चिम तक फैले इस साम्राज्य में
सूरज कभी अस्त होता ही नहीं था।“

”यस सर! हम सभी यह जानते हैं।“
सभागार के एक कोने से
एक दुबले-पतले, काले लड़के का
धीर और गंभीर स्वर उभरा-
”पर सर! क्या आप यह जानते हैं
कि जिस जमाने की आप बात कर रहे थे
उसमें, उस महान साम्राज्य में,
काली और भूरी चमड़ी वाले ऐसे लोग भी थे
जिन्होंने कभी सूरज को उगते
और डूबते देखा ही नहीं
क्योंकि हर रोज सूर्योदय के पहले ही उन्हें
काम करने के लिए अंधेरी और गहरी खानों में
धकेल दिया जाता था और वहां से
बाहर निकाला जाता था सूर्यास्त के बाद।“