कज़ गाँव में कब
कबीर आए थे
सत कातने!
ताना-बाना गढ़ने!
कोरे दिलों में
ढाई आखर का गान उतारने!
स्टेशन चला गया।
मैं किससे पूछूँ
कबीर की अकथ कथा!
कज़ गाँव में कब
कबीर आए थे
सत कातने!
ताना-बाना गढ़ने!
कोरे दिलों में
ढाई आखर का गान उतारने!
स्टेशन चला गया।
मैं किससे पूछूँ
कबीर की अकथ कथा!