जगमगाते ट्यूब की रोशनी में
फैली है दूध-सी सफेद बेदाग दीवार!
मच्छरों, कीड़ों व पंखदार नन्हीं तितरियों के बीच
दीवार पर चिपकी बैठी हैएक
छिपकली-कितनी शानदार-
मौन, प्रशान्त, ध्यानावस्थित,
नई दुलहिन के समान
लज्जालु!
धीमे-धीमे, कभी-कभी
कई मिनटों में एकाध बार
कोमल-मुलायम गुदगुदे-खुरदरे रबर-पैड से पाँव जमाती-बढ़ाती,
सरकती नीरव-नीरव,
काम एण्ड क्वाएट,
लक्ष्यबद्ध,
मौन;
सब कुछ कितना सुथरा और प्रशान्त!
ए ए ए ए...
ख च् च् च।
खच्च, खच्च।
लील गई पूरी नीरवता से
अपने शिकार को, अपने भक्ष्य को, बारीक टैकनीक के साथ!
नीट एण्ड क्लीन-
सब कुछ-
कितना एॅकेडिमक!
यूनिवर्सिटी लाइक।
1976