Last modified on 20 मार्च 2017, at 17:00

दिन / ब्रजेश कृष्ण

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:00, 20 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रजेश कृष्ण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिन को मैंने
चार हिस्सों में काटा
और चार दोस्तों में बांट दिया
उन चारों ने भी यही किया
शाम को
चिथड़ा दिन
मुझे शहर की मीनार पर
फड़फड़ाता हुआ मिला।