Last modified on 20 मार्च 2017, at 17:36

कमजोर आदमी / रमेश तैलंग

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:36, 20 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सच कहूं तो
मैं बहुत कमजोर आदमी हूं
इकलखोर,
आत्मनिष्ठ
अपनी ही काल्पनिक दुनिया में
मस्त।

काल्पनिक दुनिया-
जिसे मैं स्वयं रचता हूं
और इस बहाने
उस खौफनाक दुनिया से बचता हूं
जिसमें ‘उठने’ के ज्यादातर रास्ते
‘गिरने’ से शुरू होते हैं।

मैं इस सत्य को
भला किस तरह झुठलाऊं
कि मेरी ईमानदारी
उनके यहां गिरवी पड़ी है

जो बेईमानी बेचने के लिए
ईमानदारों को नियुक्त करते हैं
और ईमानदारी खरीदने के लिए
बेईमानों को।

मैं सचमुच
बहुत ही कमजोर आदमी हूं।